जानिये कैसे भारत का अभीन्न अंग बना हैदरबाद, क्या है इतिहास

हर साल की तरह इस साल भी आज यानी 17 सितंबर को पूरे देश में हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है। आज के दिन ही 1948 में हैदराबाद आधिकारिक तौर पर भारत का हिस्सा बना था। आजादी के बाद भारत 565 देशी रियासतों में बंटा था। देश के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने इन सभी रियासतों को यह विकल्प दिया था कि अगर आप चाहें तो भारतीय गणतंत्र के साथ शामिल हो सकते हैं, या फिर पाकिस्तान के साथ शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही रियासतों को आजाद रहने का भी प्रावधान दिया गया था। अधिकतर देशी रियासत भारत के साथ रहने को तैयार हो गई  थी लेकिन कुछ के मत इससे अलग थे। कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे रियासत भारत के साथ रहने को तैयार नहीं थी। बाद में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में इन रियासतों को भारत में मिलाया गया।

कैसे हैदराबाद हुआ भारत में शामिल

आजादी के बाद देश के तमाम रियासतों को भारत में शामिल करने के लिए सरदार पटेल के द्वारा दिल्ली में एक बैठक रखी गई थी। अधिकतर रियासत देश में  शामिल होने को तैयार थे लेकिन हैदराबाद निजाम के प्रतिनिधि रिजवी को यह मंजूर नहीं था। हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ जाह हैदराबाद को एक स्वतंत्र राज्य बनाना चाहते थे। निजाम के इस फैसले के बाद सरदार पटेल ने पुलिसिया कार्रवाई कर हैदराबाद को भारत में मिलाने का फैसला लिया। सरदार पटेल ने नेहरू को सूचित किए बिना सेना को हैदराबाद भेजने का फैसला किया। इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था ऑपरेशन पोलो। आजादी के 13 महीने बाद 17 सितंबर 1948 को अंतत: हैदराबाद भारत का हिस्सा बना।

हैदराबाद के एकीकरण के वक्त वह एक ऐसा राज्य था जो हिंदू बाहुल्य था लेकिन उसपर मुस्लिम शासक का शासन था। आजादी के वक्त हैदराबाद 84 प्रतिशत हिंदू थे जबकि 11 प्रतिशत मुसलमान थे। इसलिए आजादी के बाद वहां के जनता के द्वारा भारत संघ में एकीकरण की मांग होने लगी जिसके बाद भारत सरकार ने हैदराबाद में विलय करने का फैसला लिया। एकीकरण के बाद निजाम को वही दर्जा मिला था, जो भारत के साथ विलय करने वाले अन्य रियासतों के राजाओं मिला था।

Image- The Wire

क्या था ऑपरेशन पोलो

हैदराबाद को भारत में मिलाने के लिए की गई कारवाई को ऑपरेशन पोलो नाम दिया गया था। ऑपरेशन पोलो के बाद भारतीय सेना ने हैदराबाद और बराड़ रियासत को भारतीय संघ में शामिल करवाया था। सरदार पटेल ने 13 सितंबर 1948 को गुप्त तरीके से भारतीय सेना को हैदराबाद भेजा था। भारतीय सेना की कारवाई 13 सितंबर से 18 सितंबर तक चली थी। इसकी जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भी नहीं थी। 

इस कारवाई का नाम ऑपरेशन पोलो इसलिए रखा गया था क्योंकि उस वक्त हैदराबाद में सबसे ज्यादा 17 पोलो के मैदान थे। यह ऑपरेशन कुल 5 दिनों तक चला था जिसमें भारतीय सेना के 66 जवान शहीद हुए थे और 96 जवान घायल हुए थे। निजाम के 807 जवान भी इस घटना में मारे गये थे।

हैदराबाद रियासत के अंदर कई राज्य

हैदराबाद उस वक्त दक्षिण के सबसे बड़े और अमीर रियासतों में से एक था। हैदराबाद के अंदर वर्तमान भारतीय राज्यों के कई क्षेत्र आते थे। हैदराबाद रियासत के अंतर्गत तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कई जिले आते थे। 

एकीकरण के 75 वर्ष

देश आज हैदराबाद के एकीकरण की 75वी वर्षगांठ मना रहा है। केंद्र सरकार ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस' के 75 वर्ष पूरे होने पर सालभर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। वहीं तेलंगाना सरकार ने 75 वर्ष पूरे होने पर तीन दिन के लिए ‘तेलंगाना राष्ट्रीय एकीकरण दिवस हीरक जयंती समारोह' मनाने का निर्णय लिया है।


Write a comment ...

Rishabh Rajput

खुद की तलाश में भटकता एक बटोही।