यूनिसेफ: मानवता के 75 साल बेमिसाल

यूनिसेफ यानी संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने अपने 75 साल पूरे कर लिए।द्वितीय विश्व युद्ध और उससे उत्पन्न मानव त्रासदी के बाद इसके चपेट में आए महिलाओं तथा बच्चो को भोजन तथा स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु इस संगठन की नींव 11 दिसंबर 1946 को रखी गई थी।लेकिन 1950 के बाद यूनिसेफ ने अपना विस्तार कई विकासशील और विकसित देशों में किया। संयुक्त राष्ट्र ने 1953 में जाकर यूनिसेफ को अपना स्थाई अंग बना लिया। इस समय यूनिसेफ दुनिया के 190 देशों में अपनी सेवा दे रहा हैं।
अपने स्थापना काल से यूनिसेफ लगातार बच्चो तथा महिलाओं के उत्थान का काम कर रहा हैं। मध्यपूर्व में समय समय पर हो रहे उथल-पुथल से लेकर अफ़्रीकी देशों में वर्षो से हो रहे गृह युद्ध, यूनिसेफ ने वहां के संकटग्रस्त लोगो के लिए कई अतुलनीय कार्य किए हैं।किसी भी देश में अगर कोई त्रासदी होती है चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव निर्मित,उसका दुष्प्रभाव सबसे पहले महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता हैं। ऐसे कई मौके पर यूनिसेफ ने तत्काल प्रभाव से मानवीय सहायता पहुंचाने का काम किया हैं।
बीते कुछ वर्षों की अगर चर्चा करे तो दुनिया के कई देश बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहे है।यमन पिछले 7 सालों से गृहयुद्ध की मार झेल रहा हैं। संयुक्त राष्ट्र इसे इस समय की सबसे खराब त्रासदी घोषित कर चुका है। यमन की 70% से अधिक आबादी इससे प्रभावित है,जिसमे एक करोड़ बच्चे है। यूनिसेफ इस मानवीय संकट से जूझ रहे लोगो के लिए कई काम किए है।अब तक कुपोषण का शिकार हो चुके 4 लाख से अधिक बच्चो का इलाज यूनिसेफ के मदद करवाया गया हैं। हिंसा से प्रभावित 50 हजार से अधिक लोगो को आर्थिक रूप से मदद की गई। इसके अलावा हिंसाग्रस्त्त इलाके में पेयजल,दवाई,स्वास्थ सेवाएं, बच्चो की शिक्षा जैसी बुनायादी चीजों की उपलब्धता हेतु यूनिसेफ कार्यरत है।
यमन के साथ साथ अफगानिस्तान भी सत्ता परिवर्तन के कारण उपजे संकट का सामना कर रहा हैं।लोकतांत्रिक सरकार के सत्ता से बेदखल होने और तालिबान के दोबारा शासन में आने का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव औरतों और बच्चों पर पड़ा हैं। यूनिसेफ पहले से ही कई अन्य देशों के मदद से अफगानिस्तान में बच्चों और महिलाओं के उत्थान हेतु कई योजना पर काम कर रहा था,लेकिन पिछले कुछ महीनों पहले हुए राजनैतिक परिवर्तन के कारण कई देशो ने अफगानिस्तान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये जिसके कारण यूनिसेफ का राहत कार्य भी प्रभावित हुआ जिससे वहां की स्थिती और दयनीय हो गयी। अब जाकर दोबारा यूनिसेफ ने बाल अधिकार, स्वास्थ्य और लड़कियों के प्राथमिक शिक्षा को लेकर एक पांच सूत्रीय योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।
इसके साथ साथ बांग्लादेश भी पिछले चार वर्षो रोहिंग्या शरणार्थी सके कारण उत्पन्न संकट से बुरी तरह जूझ रहा हैं।2017 में म्यांमार से पलायन कर आए लगभग 10 लाख शरणार्थी इस समय बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं,जिसमे लगभग 4 लाख बच्चे है।यूनिसेफ इनके लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चला रहा है। 2017 में युनिसेफ ने इनके पठन पाठन के लिए लगभग 2000 लर्निंग सेंटर की स्थापना की।एक हजार से अधिक स्वंयसेवक को बच्चो के अंदर कुपोषण के जांच हेतु तैनात किया गया। मानसिक समस्या का सामना कर रहे 4700 बच्चो का इलाज युनिसेफ के मदद से किया गया।इसके अलावा पेयजल,प्राथमिक उपचार केंद्र,किशोर क्लब,स्किल डेवलपमेंट सेंटर जैसे लाभकारी कार्य युनिसेफ ने किये|
भारत में यूनिसेफ पिछले 70 सालो से कार्य कर रहा है। 1949 के बाद यूनिसेफ महिलाओं तथा बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए है। वर्तमान में 17 राज्यो के 90 फीसदी बच्चे को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यूनिसेफ के कार्यों का लाभ मिल रहा हैं। यूनिसेफ के पोषण अभियान का लाभ लगभग 4 करोड़ बच्चों को मिल रहा हैं।14 राज्यों में 2 करोड़ से अधिक बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।इसके साथ साथ यूनिसेफ भारत सरकार के साथ मिलकर कई और महत्वपूर्ण योजना जैसे सर्व शिक्षा अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,मिशन इंद्रधनुष आदि पर काम कर रही है।
इसके साथ एक प्रश्न और उठता है कि इतने बड़े बड़े कार्यों को करने हेतु यूनिसेफ को राशि कहां से आती है। यूनिसेफ इस तरह के तमाम कार्य के लिए पूरी तरह से स्वैच्छिक योगदान पर निर्भर हैं। सरकारें, अंतरसरकारी संगठन, निजी कंपनियां, फाउंडेशन और दान के माध्यम से यूनिसेफ को आर्थिक सहयोग प्राप्त होता है। 2020 की अगर बात करे तो यूनिसेफ ने कुल 7.2 बिलियन$ जुटाए जिसमे सबसे बड़ा योगदान अमेरिका(801 मिलियन$), जर्मनी(744 मिलियन$) और यूरोपियन यूनियन (514 मिलियन$) का था। इसके अलावा कई और देश और संगठन ने यूनिसेफ को फंड उपलब्ध कराए थे।
बाल अधिकारो की रक्षा, उनके उत्थान और महिलाओं से जुड़े अतुलनीय मानवीय कार्य हेतु यूनिसेफ को कई सम्मान भी प्राप्त हो चुके है। 1965 में यूनिसेफ को नोबेल का शांति पुरस्कार "राष्ट्रों के बीच भाईचारा को बढ़ाने हेतु" दिया गया। इसके अलावा 1989 में इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से भी यूनिसेफ को सुशोभित किया जा चुका हैं।

Image is under "UNICEF car in the Central African Republic" by hdptcar is licensed under CC BY-SA 2.0

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Rishabh Rajput

खुद की तलाश में भटकता एक बटोही।