क्या 2047 तक आधे भारतीय शहर में रहेंगे ?

साल 2022-23 का बजट काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। कोरोना महामारी के दो बड़े लहर झेलने तथा तीसरी लहर की आशंका के बीच सभी भारतीय की नजर इस बजट पर टिकी थी। लगातार लग रहे पाबंदियों और समय-समय पर महामारी के घटने बढ़ने के कारण शहरी और ग्रामीण इलाके के बीच एक खाई का निर्माण हो रहा था।
भारत एक ग्राम प्रधान राष्ट्र है। यहां की लगभग 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती हैं। लेकिन ग्रामीण इलाके का एक बड़ा हिस्सा अपने रोजी रोटी हेतु शहर में प्रवासी के रूप में रहते है। वर्षो से इस विषय पर मंथन हो रहा है कि एक प्रवासी के रूप में रोजी रोटी कमाने हेतु शहर और फिर वापस अपने घर लौटने वाले लोगो के लिए स्थाई हल निकाला जाए।
बजट 2022-23 को सदन में पेश करते हुए निर्मला सीतारमन ने अपने अभिभाषण में कहा कि भारत जब अपने आजादी का शताब्दी मना रहा होगा तब देश की आधी जनसंख्या शहर में निवास कर रही होगी। साल 2047 में भारत के आजादी की सौ साल पूरे हो जाएंगे। वर्तमान समय में देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांव में निवास कर रही है। अब प्रश्न यह आता है कि क्या अगले 25 वर्ष में भारत की लगभग 20 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करने लगेगी ?
सदन में अपने भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि इस स्थिति को तैयार करने के लिए एक सुव्यवस्थित शहरी विकास की जरूरत है। इससे लिए हमें एक मेगा सिटीज के पोषण की जरूरत है तथा आसपास के क्षेत्रों को आर्थिक विकास के वर्तमान केंद्रो के रूप में विकसित करने की जरूरत हैं। इसके साथ साथ उन्होंने शहरी क्षेत्र की नीतियों, क्षमता, निर्माण, नियोजन, कार्यान्वन, प्रशासन के बारे में सिफारिशें करने के लिए प्रतिष्ठित शहरी नियोजकों, शहरी अर्थशास्त्रियों और संस्थानों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
इसके साथ साथ राज्यों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी क्षमता निर्माण के लिए राज्यो को सहायता दी जाएगी। शहरी नियोजन और डिजाइन में भारत विशिष्ट ज्ञान विकसित करने और इस क्षेत्रों में प्रमाणित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए, विभन्न क्षेत्रों में 5 मौजूदा शैक्षिक संस्थाओं केंद्रो के रूप में अभिहित किया जाएगा। इस केंद्रो को प्रत्येक के लिए 250 करोड़ रुपए की निधि प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद पाठ्यक्रम, गुणवत्ता सुधारने तथा अन्य संस्थाओं में शहरी नियोजन पाठ्यक्रमों की सुलभता के लिए अग्रणी भूमिका निभाएगी।
लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वित्त मंत्री के द्वारा की गई घोषणा साल 2047 तक आधे भारतीय को शहरी क्षेत्रों में बसाने हेतु पर्याप्त है। क्योंकि अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने ना कोई विशेष फंड को घोषणा की, और ना ही कोई सुव्यवस्थित नीति का ऐलान किया।

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Rishabh Rajput

खुद की तलाश में भटकता एक बटोही।